गमले में दो चार फूल खिले,
मन प्रफुल्लित तन पुलकित
रक्तों में नव संचार हुआ।
पीली और सुर्ख पंखुड़ियों से
अनुपम यह सौंदर्य हुआ।
फूलों का देख चटक रंग
तितलियों का आगमन हुआ।
निकट तरू की शाखाओं से
जब कोयल ने छेडी तान
गुंजर करते भौरे दौड़े,
मधुर सुरमयी प्रेम हुआ।
रोम रोम पुलकित हुआ,
देख फूलों की चंचलता
मंद पवन की मधुर ताल से
सुरभित देखो छत हुआ।
इक बूँद गिरा चक्षु से मेरे
यह सौंदर्य अप्रतिम हुआ I
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